साझेदारियाँ
भारतीय प्रबंध संस्थान बेंगलूर (भाप्रसंबें) एक अग्रणी अनुसंधान आधारित विश्व स्तरीय प्रबंध संस्थान है जिसकी जड़ें उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ से जुड़ी हैं । अनुसंधान परिणाम भारत में तथा अंतर्राट्रीय स्तर पर व्यावसायिक प्रबंधकों, नेताओं तथा नीति निर्माताओं के लिए प्रासंगिक होने चाहिए । अत: भाप्रसंबें में भारत और विदेशों में भी कारपोरेट से संपर्क तथा पूरे समाज से संबंध अनुसंधान, शिक्षण तथा परामर्श से अभिन्न रूप से जुड़ा है ।
सामग्री प्रबंध के संदर्भ में है । इसलिए संगठन की संरचना, प्रणालियाँ तथा प्रक्रियाएँ इस तरह तैयार की जाती हैं कि संस्थान के सदस्यों को बाहरी पणधारियों से जुड़ने में सुगमता प्रदान की जा सके । संस्थागत कार्यनीति विज़न तैयार करना, कार्यनीति तैयार करना, ज्ञान सृजित करना, ज्ञान का प्रयोग, ज्ञान का प्रसार, प्रवेश, अवस्थापन, वित्तीय तथा अन्य संसाधन प्राप्त करना आदि जैसी गतिविधियों में भाग लेने हेतु बाहरी पणधारियों तक पहुँचने की है । संस्थान के मुख्य मूल्य - ज्ञान का गहन एवं चिरस्थायी सम्मान, हर किसी से सीखने के लिए तैयार रहना, निष्ठा, समावेशी विकास तथा समाज को योगदान देना - इसके कारपोरेट तथा सामाजिक संपर्कों का मार्गदर्शन करते हैं ।
भाप्रसंबें में कंपनी संबंध भाप्रसंबें मंडल, दीर्घ अवधि के कार्यक्रमों, इसके सात उत्कृष्टता केन्द्रों, अनुसंधान चेयर्स, संकाय, भूतपूर्व छात्रों एवं छात्रों के इर्द-गिर्द निर्मित है । इसके अलावा संस्थान की पत्रिका 'आईआईएमबी मैनेजमेंट रिव्यू' कारपोरेट जगत से जुड़ने का एक मंच है ।
संस्थान की नीति कारपोरेट जगत के साथ सक्रिय संबंध स्थापित करने हेतु संकाय को प्रोत्साहित करने की है । संकाय सदस्यों को परामर्श के कार्यों पर सप्ताह में एक दिन या वर्ष में 52 दिन प्रयोग करने की अनुमति प्रदान की गई है । संस्थान का यह दृढ़ अभिमत है कि परामर्श का कार्य केवल राजस्व का स्रोत नहीं है, अपितु कारपोरेट जगत की वर्तमान समस्याओं एवं चुनौतियों के बारे में अवगत होने में भी संकाय की मदद करता है । इसके अलावा परामर्श कार्य संगठन की जटिल समस्याओं के समाधान हेतु अपने ज्ञान का उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है । इनमें से अनेक परामर्श कार्यों को ग्राहक संगठनों के अनुमोदन से केसों में परिवर्तित किया जाता है ।
संस्थान अतिथि व्याख्याता के रूप में व्यावसायिक प्रबंधकों को आमंत्रित करने हेतु भी संकाय को प्रोत्साहित करता है । संकाय सदस्य किसी पाठ्यक्रम में लगभग 15 प्रतिशत सत्रों के संचालन हेतु व्यावसायिक प्रबंधकों को आमंत्रित कर सकते हैं । संस्थान उद्योग जगत के व्यावसायिक प्रबंधकों से विज्ञापन जैसे प्रैक्टिस अभिमुख विषयों को पढ़ाने पर बल देता है ।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंडल के सदस्य के रूप में कंपनी नेताओं को नामित करता है ताकि वे संस्थान में अभिशासन की प्रक्रियाओं में भाग ले सकें और प्रभावित कर सकें । यह व्यवसाय एवं उद्योग जगत की तरफ एक रास्ता भी सृजित करता है । भूतपूर्व छात्र, विशेष रूप से वरिष्ठ कारपोरेट कार्यपालक लंबी अवधि के कार्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया और समीक्षा प्रक्रिया में सक्रियता से शामिल होते हैं । अवस्थापन की प्रक्रियाओं में भाग लेने हेतु भारतीय कंपनियों तथा बहुराष्ट्रीय निगमों को आमंत्रित किया जाता है । इस प्रकार संस्थान यह सुनिश्चित करता है कि कारपोरेट नेता नीति निर्माण की प्रक्रियाओं तथा प्रमुख गतिविधियों से सक्रियता से जुड़े रहें ।
अभिशासन में कंपनी संबंध
भाप्रसंबें में कंपनी संबंध अभिशासन की संरचना से ही शुरू हो जाता है । भाप्रसंबें के गवर्नर मंडल में उद्योग नेता, सरकार के प्रतिनिधि तथा समाज के नेता शामिल हैं । भाप्रसंबें के गवर्नर मंडल के अध्यक्ष अनिवार्य रूप से मशहूर वरिष्ठ उद्योगपति रहे हैं । गवर्नर मंडल अपनी कार्यनीति एवं नीतियों में कंपनी, सरकार तथा समाज के परिप्रेक्ष्यों को शामिल करने में भाप्रसंबें को समर्थ बनाता है ।
भाप्रसंबें दीर्घ अवधि के कार्यक्रमों का उद्घाटन, छात्र अभिमुखीकरण तथा पुन: अभिमुखीकरण जैसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक एवं संस्थागत कार्यक्रमों को संबोधित करने के लिए मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता के रूप में उद्योग नेताओं को आमंत्रित करता है । संस्थान के स्थापना दिवस तथा दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में कंपनी नेताओं को आमंत्रित किया जाता है । ऐसे नेताओं में शामिल हैं: श्री भार्गव दास गुप्ता, एमडी एवं सीईओ, आईसीआईसीआई लोमबार्ड प्राइवेट लिमिटेड; श्री शीबूलाल, संस्थापक-निदेशक, इनफोसिस टेक्नोलॉजी; स्व. डॉ. यू आर अनंतमूर्ति, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता; डॉ. देवी शेट्टी, कार्डियोलॉजिस्ट एवं फिलंथ्रोफिस्ट; डॉ. किरण मजूमदार-शॉ, अध्यक्ष एवं एमडी, बयोकान; डॉ. डी सुब्बा राव, पूर्व गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक; और डॉ. रामचंद्र गुहा, इतिहासकार एवं लेखक ।
अनुसंधान चेयर्स के माध्यम से कंपनी संबंध
भाप्रसंबें में विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट्स, बैंकों और सरकारी विभागों द्वारा स्थापित 6 कॉर्पोरेट-प्रायोजित अनुसंधान चेयर हैं । चेयर्स द्वारा किए गए अनुसंधान को अनुसंधान सेमिनार, वर्किंग पेपर और डोनर रिपोर्ट के माध्यम से कॉर्पोरेट जगत के साथ साझा किया जाता है ।
कंपनी अक्षय अनुसंधान चेयर्स की सूची
• अर्थशास्त्र में आरबीआई चेयर - भारतीय रिजर्व बैंक, नई दिल्ली
• बैंकिंग और वित्त में केनरा बैंक चेयर - केनरा बैंक, बेंगलूर
• डिजिटल एक्सेसिबिलिटी और सम्मिलन के लिए एमफैसिस चेयर - एमफैसिस एफ1 फाउंडेशन, बेंगलूर
• एनएसआरसीईएल की जमुना राघवन चेयर - भारतीय प्रबंध संस्थान, बेंगलूर
• आईपीआर में डीआईपीपी चेयर - औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली
• सतत आर्थिक विकास के लिए आईसीटी में एचपी चेयर प्रोफेसर - एचपी इनकॉरपोरेटेड इंडिया
शैक्षणिक कार्यक्रमों में कंपनी संबंध :
पाठ्यक्रम अभिकल्पना
दीर्घ अवधि के कार्यक्रमों के लिए कार्यक्रम के अध्यक्ष, संकाय तथा समीक्षा समितियाँ उद्योग तथा अन्य पणधारियों से फीडबैक प्राप्त करती हैं ताकि उनकी आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील और प्रासंगिक हो । शुरुआत से ही संस्थान दीर्घ अवधि के अपने कार्यक्रमों की डिजाइन एवं प्रदायगी में कंपनी को सक्रियता से शामिल करता रहा है । जब विनिर्माण उद्योग ने 1990 के दशक के पूर्वार्ध में प्रबंधकीय दक्षता वाले इंजीनियरों की आवश्यकता महसूस की तो संस्थान ने 'शिल्पवैज्ञानिकों हेतु प्रबंध कार्यक्रम' (एमपीटी) नामक एक 9 माह का प्रमाण पत्र कार्यक्रम शुरू किया । पिछले 10 वर्षों की अवधि में इस कार्यक्रम ने लगभग 350 प्रबंधकों को प्रशिक्षित किया है जो उद्योग का हिस्सा हैं तथा अपने करियर में काफी उन्नति की है और अपने अपने संगठनों के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है । वास्तव में एमपीटी ने बहुराष्ट्रीय निगमों जैसे कि एबीबी, सीमेंस, भारत इलेक्ट्रानिक्स तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा ऐसे अनेक कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त किया ।
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के नेताओं के घनिष्ठ सहयोग से सॉफ्टवेयर उद्यम प्रबंध में स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पीजीएसईएम) की संकल्पना तैयार की गई और इसे डिजाइन किया गया । 1990 के दशक के उत्तरार्ध में इस उद्योग में असाधारण विकास हुआ तथा इसने प्रबंध में नेतृत्व की क्षमता और विशेषज्ञता की आवश्यकता महसूस की । विप्रो, ओरेकल, सस्केन, सन माइक्रोसिस्टम्स, इनफोसिस एवं मोटोरोला ने कई तरह से पीजीएसईएम को सहायता प्रदान की । इन संगठनों ने अपने कर्मचारियों को प्रायोजित किया, कार्यक्रम की अंतर्वस्तु पर फीडबैक प्रदान किया तथा कार्यक्रम को संकाय सहायता भी प्रदान की । इनफोसिस ने 5 साल तक इनफोसिस के चेन्नई परिसर में कार्यक्रम चलाने के लिए शिक्षण कक्ष तथा कार्यालय स्थान भी उपलब्ध कराया । पिछले 15 वर्षों के दौरान लगभग 1200 सॉफ्टवेयर पेशेवरों ने पीजीएसईएम पूरा किया है ।
भाप्रसंबें ने 2009 में कार्यपालक स्नातकोत्तर कार्यक्रम (ईपीजीपी) शुरू किया । परंतु इससे पूर्व इस कार्यक्रम की डिजाइन के बारे में सुझाव के लिए उद्योग नेताओं से संपर्क किया गया । ईपीजीपी की कुछ अनोखी विशेषताएं जैसे कि सेमिनार श्रृंखला तथा अंतर्राष्ट्रीय निमज्जन माड्यूल जो उद्योग व्यावसायिकों के साथ चर्चा से उत्पन्न हुए, जो ऐसा कार्यक्रम चाहते थे जो विश्व स्तरीय संगठन में ऐसे अधिगम के व्यावहारिक अनुप्रयोग तथा विश्व स्तरीय अधिगम की कठोरता में संतुलन स्थापित करे । ये उद्योग नेता यह भी चाहते थे कि भाप्रसंबें यह सुनिश्चित करे कि प्रतिभागी वैश्विक परिवेशों, विशेष रूप से उभरते बाजारों में काम करने में समर्थ हों ।
अतीत में कंपनी नेताओं के फीडबैक ने यह दर्शाया कि भाप्रसंबें के पीजीपी छात्र विश्लेषण एवं संकल्पना के कौशलों में उत्कृष्ट हैं परंतु नेतृत्व तथा टीम कार्य के उनके कौशलों तथा पेशे के विकल्पों को चुनने की उनकी सामर्थ्य में सुधार की गुंजाइश है । इसके परिणामस्वरूप भाप्रसंबें में वृत्ति विकास सेवा को सुदृढ़ किया गया तथा छात्रों को नेतृत्व पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले अनेक कार्यक्रम तैयार किए गए जिसकी व्याख्यात्मक सूची अध्याय 3 में उपलब्ध है । संस्थान प्रबंध पेशे से जुड़े अनेक पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है जिनकी काफी माँग है ।
परियोजना कार्य
भाप्रसंबें के सभी कार्यक्रमों की पाठ्यचर्या यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई है कि छात्रों को अपने पाठ्यक्रम के दौरान उद्योग का पर्याप्त अनुभव प्राप्त हो ताकि वे कक्षा में जो सीखते हैं उसके व्यावहारिक महत्व को समझ सकें । अनेक पाठ्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण परियोजना घटक होता है जिसमें पढ़ाए जाने वाले विषय क्षेत्र से जुड़े संगठनों में वास्तविक जीवन की समस्याओं की पहचान करना और अध्ययन करना शामिल होता है । इसके लिए अक्सर यह आवश्यक होता है कि छात्र संगठनों तथा उद्योग व्यावसायिकों से संपर्क करें।
ईपीजीपी, पीजीपीपीएम तथा पीजीएसईएम के प्रतिभागी संगठन की वास्तविक समस्याओं या उद्योग की विशेषताओं का अध्ययन एवं विश्लेषण करने में अपना आखिरी टर्म/टर्म्स व्यतीत करते हैं जिसके लिए उद्योग व्यावसायिकों के साथ व्यापक संपर्क आवश्यक होता है । इन परियोजनाओं का अंजाम शोध प्रबंध और प्रस्तुति के रूप में होता है । संगठन इन परियोजनाओं के परिणामों को बहुत ही प्रासंगिक एवं उपयोगी पाते हैं तथा अनेक संगठन अग्रिम में संस्थान को पत्र लिखते हैं जिसमें छात्रों को संगठन की किसी खास चुनौती का अध्ययन करने की पेशकश की जाती है । कारपोरेट अक्सर भाप्रसंबें से यह अनुरोध करते हैं कि वह उनकी ओर से कोई छात्र परियोजना शुरू करे । ऐसे अनुरोध संस्थान के साथ उनकी भागीदारी का उदाहरण हैं । ईएडीएस यूरोप (अब एयरबस) जो आपूर्ति श्रृंखला प्रबंध केन्द्र के लिए प्रमुख प्रायोजक है, हर साल कंपनी परियोजनाएँ लाता है । हाल ही में नारायण हृदयालय हॉस्पिटल के डॉ. देवी शेट्टी ने किसी देश की प्रवेश कार्यनीति का मूल्यांकन करने के लिए दो छात्रों की सेवाएँ ली, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया । दो छात्रों ने नैस्कॉम के लिए क्लाउड आधारित कार्यनीति पर परियोजना पूरी की । छात्रों के एक अन्य समूह ने उन्माद महोत्सव के दौरान एक स्टार्टअप के लिए बाजार सर्वेक्षण किया तथा उत्पाद को बाजार में लाने की कार्यनीति पर रिपोर्ट भेजी गई ।
समसामयिक संबंधी अध्ययन (सीसीएस)
पीजीपी छात्रों के पास किसी पाठ्यक्रम के बदले में समसामयिक संबंधी अध्ययन (सीसीएस) चुनने का विकल्प होता है जहाँ छात्र अपनी रुचि के विषयों का चयन कर सकते हैं और संकाय सदस्यों के मार्गदर्शन में गहन विश्लेषण कर सकते हैं । सीसीएस के विषय संगठनों की चुनौतियों पर केन्द्रित होते हैं तथा संगठनों के प्रमुख खिलाड़ियों, विश्लेषकों तथा उद्योग संघों के साथ अंत:क्रिया शामिल होती है । 2012 में प्रो. ए दामोदरन के मार्गदर्शन में पीजीपी के चार छात्रों की टीम द्वारा 'द्विपक्षीय संबंध तथा भारतीय नागर विमानन उद्योग में यूरोपीय फर्मों के लिए अवसर' नामक सीसीएस परियोजना ने आईआईएमबी - एचआईईपी कार्यक्रम के तहत् एचईसी पेरिस से सर्वोत्तम परियोजना पुरस्कार जीता ।
पीजीपी की प्रवेश प्रक्रिया में विभिन्न घटकों जैसे कि पेशेवर अनुभव की गुणवत्ता एवं अवधि को प्रदान किया जाने वाला अधिमान बढ़ा दिया गया ताकि प्रवेश में कंपनी जगत का अच्छा अनुभव रखने वाले छात्रों का प्रतिशत अधिक हो । महसूस किया गया कि यह उस समय संगठन की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने में छात्रों को समर्थ बनाएगा जब उन पर कक्षा में चर्चा होगी तथा इससे कक्षा में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ेगी । पीजीपीईएम तथा ईपीजीपी ऐसे कार्यक्रम हैं जिसके तहत प्रवेश के समय क्रमश: न्यूनतम दो और पांच वर्ष के व्यावसायिक अनुभव की आवश्यकता होती है । रोचक तथ्य यह है कि दोनों कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए काफी अधिक अनुभव, क्रमश: लगभग 7 वर्ष और 10 वर्ष के अनुभव वाले प्रतिभागी आवेदन करते हैं । पीजीपी, पीजीएसईएम तथा ईपीजीपी में प्रवेश हेतु साक्षात्कार का हिस्सा बनने के लिए भूतपूर्व छात्रों को आमंत्रित किया जाता है ताकि प्रतिभागियों के अनुभव की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके ।
वृत्ति विकास सेवा कार्यालय संस्थान से संपर्क करने वाले प्रत्येक संगठन के साथ संबंध का दायरा बढ़ाने की दिशा में काम करता है ताकि संगठन छात्रों की मात्र भर्ती करने से आगे बढ़कर छात्रों और संस्थान के साथ अनेक संपर्क बिंदु स्थापित कर सकें । संगठनों को औपचारिक रूप से (उदाहरणार्थ कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा अवस्थापन वार्ता के दौरान) और अनौपचारिक रूप से (उदाहरणार्थ संगठनों के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ सामाजिक समारोहों के दौरान) छात्रों मिलने तथा ईमेल, वीडियो कॉन्फ्रेंस, पोडकास्ट एवं ट्विटर के माध्यम से छात्रों से संपर्क रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । परिसर में आयोजित कार्यशालाओं एवं सेमिनारों के माध्यम से संगठन की प्रथाओं एवं नवाचारों पर छात्रों से वार्ता करने के लिए वरिष्ठ प्रबंधकों को आमंत्रित किया जाता है । वृत्ति विकास सेवा कार्यालय सहयोगात्मक अनुसंधान, केस विकास, कार्यपालक शिक्षा तथा अतिथि व्याख्यान की संभावनाओं का पता लगाने हेतु भी संगठनों को संकाय सदस्यों के संपर्क में रखता है ।
भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन छात्रों की भर्ती करने के लिए भाप्रसंबें आते हैं जो बौद्धिक क्षमता की दृष्टि से बहुत होनहार के रूप में विख्यात हैं । दो माह की ग्रीष्म अंतःशिक्षुता के लिए तथा स्थायी अवस्थापन के लिए भी छात्रों की भर्ती की जाती है । ऐसे संगठनों के लिए संपर्क का पहला बिंदु जीवनवृत्त विकास सेवा कार्यालय है जहाँ संकाय तथा प्रशासनिक स्टाफ उनको संस्थान की गतिविधियों तथा भाप्रसंबें के साथ काम करने के विभिन्न अवसरों के बारे में अवगत कराता है ।
वृत्ति विकास सेवा कार्यालय संस्थान से संपर्क करने वाले प्रत्येक संगठन के साथ संबंध का दायरा बढ़ाने की दिशा में काम करता है ताकि संगठन छात्रों की मात्र भर्ती करने से आगे बढ़कर छात्रों और संस्थान के साथ अनेक संपर्क बिंदु स्थापित कर सकें । संगठनों को औपचारिक रूप से (उदाहरणार्थ कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा अवस्थापन वार्ता के दौरान) और अनौपचारिक रूप से (उदाहरणार्थ संगठनों के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ सामाजिक समारोहों के दौरान) छात्रों मिलने तथा ईमेल, वीडियो कॉन्फ्रेंस, पोडकास्ट एवं ट्विटर के माध्यम से छात्रों से संपर्क रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । परिसर में आयोजित कार्यशालाओं एवं सेमिनारों के माध्यम से संगठन की प्रथाओं एवं नवाचारों पर छात्रों से वार्ता करने के लिए वरिष्ठ प्रबंधकों को आमंत्रित किया जाता है । वृत्ति विकास सेवा कार्यालय सहयोगात्मक अनुसंधान, केस विकास, कार्यपालक शिक्षा तथा अतिथि व्याख्यान की संभावनाओं का पता लगाने हेतु भी संगठनों को संकाय सदस्यों के संपर्क में रखता है ।
उत्कृष्टता केन्द्रों के माध्यम से कंपनी संबंध
संस्थान में दस उत्कृष्टता केन्द्र अनुसंधान एवं ज्ञान के प्रसार पर बल देते हैं । इनमें से प्रत्येक केन्द्र को कंपनी जगत के सहयोग से निर्मित किया गया है तथा वे कंपनी जगत की चुनौतियों, औद्योगिक विकास की कार्यनीतियों तथा पूरे समाज के कल्याण पर बल देते हैं ।
उत्कृष्टता केन्द्रों की सूची
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पूँजी बाजार एवं जोखिम प्रबंध केन्द्र
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कम्पनी अभिशासन एवं नागरिकता केन्द्र
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प्रबंध सम्प्रेषण केन्द्र
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लोक नीति केन्द्र
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सॉफ्टवेयर एवं सूचान प्रौद्योगिकी प्रबंध केन्द्र
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शिक्षण एवं अधिगम केन्द्र
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भारत-जापान अध्ययन केन्द्र
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इज़राइल केन्द्र
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एनएसआरसीईएल
विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भाप्रसंबें की 06 कंपनी प्रायोजित अनुसंधान चेयर्स हैं जिन्हें कंपनी, बैंकों तथा सरकारी विभागों द्वारा स्थापित किया गया है । इन चेयर्स द्वारा संचालित अनुसंधान को अनुसंधान सेमिनार, वर्किंग पेपर तथा डोनर रिपोर्ट के माध्यम से कंपनी जगत के साथ साझा किया जाता है ।
कंपनी अक्षय अनुसंधान चेयर्स की सूची
• अर्थशास्त्र में आरबीआई चेयर - भारतीय रिजर्व बैंक, नई दिल्ली
• बैंकिंग और वित्त में केनरा बैंक चेयर - केनरा बैंक, बेंगलूर
• डिजिटल एक्सेसिबिलिटी और सम्मिलन के लिए एमफैसिस चेयर - एमफैसिस एफ1 फाउंडेशन, बेंगलूर
• एनएसआरसीईएल की जमुना राघवन चेयर - भारतीय प्रबंध संस्थान, बेंगलूर
• आईपीआर में डीआईपीपी चेयर - औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली
• सतत आर्थिक विकास के लिए आईसीटी में एचपी चेयर प्रोफेसर - एचपी इनकॉरपोरेटेड इंडिया
इक्यानबे स्थायी संकाय सदस्यों के पास कंपनी जगत का समृद्ध अनुभव है । संकाय सदस्यों ने सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, सरकारी तथा सहकारी संगठनों में काम किया है । उनमें से कई ने भारत में और विदेशों में बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ काम किया है । उनमें से कुछ ने स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में तथा परामर्शी संगठनों के साथ काम किया है । ऐसे समृद्ध अनुभव तथा कंपनी जगत में काम करने की श्रेष्ठ समझ के माध्यम से संकाय सदस्यों के लिए कंपनी जगत से संपर्क स्थापित करना और उनसे अपने आपको जोड़ना आसान होता है । संकाय सदस्य कंपनी तथा संस्थान द्वारा प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य करते हैं । पिछले कुछ वर्षों के दौरान संस्थान के संकाय ने भारतीय संगठनों पर केस लेखन की दिशा में अपने प्रयासों में काफी वृद्धि की है । कंपनी तथा व्यावसायिक निकायों के निदेशक मंडल का सदस्य बनने के लिए भी संस्थान के संकाय सदस्यों को आमंत्रित किया जाता है ।
परामर्श कार्य संस्थान की गतिविधियों का एक प्रमुख घटक है । एक्सेटर विश्वविद्यालय, आईएफपीआरआई, वाशिंगटन और इंटरनेशनल ग्रोथ काउंसिल, यूके जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए कई परियोजनाएं पूरी की गईं । 2017-18 के दौरान, भाप्रसंबें ने ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एएचएफ), बैंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (बीएमआरसीएल), तमिलनाडु अर्बन फाइनेंस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीयूएफआईडीसीओ), दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट, कच्छ और टीवीएस मोटर्स के साथ भागीदारी की ।
2017-18 के दौरान भाप्रसंबें ने 2017-18 के दौरान एचएएल बेंगलूर, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी विभाग, भारत सरकार, आईजीआईडीआर, मुंबई, एल एंड टी (हैदराबाद) मेट्रो रेल लिमिटेड, ईपीएफओ, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार, कोल माइन्स प्रोविडेंट फंड, धनबाद, आरआईटीईएस इंडिया लिमिटेड, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, भारत सरकार, टीटीके हेल्थकेयर, चेन्नई, कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड और इंडियन मशीन टूल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन जैसी एजेंसियों के लिए 15 परियोजनाएँ पूरी की ।
भाप्रसंबें में छात्र विभिन्न मोर्चों पर कंपनियों के साथ भागीदारी करते हैं जिससे संस्थान एवं संकाय द्वारा विकसित एवं पोषित कंपनी संबंध संपूरित होता है । छात्रों ने 20 से अधिक क्लबों तथा सोसाइटी समूहों का गठन किया है जो उद्योग व्यावसायिकों को नियमित रूप से आमंत्रित करते हैं । इनमें से तीन क्लब - छात्र सांस्कृतिक समिति, औद्योगिक अंत:क्रिया फोरम (एफआईआई) तथा उद्यमिता एवं नवाचार प्रकोष्ठ - क्रमश: उन्माद, विस्टा तथा एग्ज़िमियस नामक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं । छात्र इन समारोहों का आयोजन करते समय, प्रायोजक जुटाते समय, वक्ता आमंत्रित करते समय, कार्यशालाओं, सेमिनारों, गोष्ठियों और समारोहों का आयोजन करते समय उद्योग के साथ निकटता से काम करते हैं । ये समारोह छात्रों को न केवल अपने प्रबंधकीय कौशलों का विकास करने अपितु उस गतिकी को समझने का भी अनोखा अवसर प्रदान करते हैं जो संगठनों तथा कंपनी संसाधनों के साथ काम करने से जुड़ी होती है ।
परामर्श रूप में संगठन की समस्याओं का समाधान करने हेतु भाप्रसंबें के छात्रों को अवसर प्रदान करने के लिए छात्र परामर्श क्लब - आइकॉन का गठन किया गया । पिछले कुछ वर्षों में आइकॉन वाणिज्यिक एवं स्वैच्छिक संगठनों के साथ परामर्श की अनेक परियोजनाओं में शामिल हुआ है जिससे इसके सदस्यों कंपनी के निर्णयकर्ताओं के साथ वार्ता करने और सीखने का प्रचुर अवसर प्रदान किया है ।
उद्योग जगत के विचारकों के साथ अंत:क्रिया को सुगम बनाने हेतु सभी कार्यक्रमों के छात्रों को वार्ता एवं सेमिनार का आयोजन करने/संचालित करने/प्रतिभागिता करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । ऐसा एक उदाहरण पीजीपीईएम की छात्र कार्य परिषद् का है जिसने 'लीडर स्पीक' नामक एक नई वार्ता श्रृंखला शुरू की है जिसमें उद्योग जगत के लोगों जैसे कि फिलिप्स सॉफ्टवेयर प्रभाग के पूर्व निदेशक (स्वास्थ्य देखरेख) तथा याहू इंडिया के पूर्व मुकाअ को बुलाया गया । पीजीपीपीएम ने सुरक्षा चुनौतियाँ, भारत के लिए नवाचार आदि जैसे विषयों पर लोक नीति सेमिनार तथा अतिथि व्याख्यान का आयोजन करने के लिए 'स्पीकर सीरीज' शुरू की है । ईपीजीपी की 'सेमिनार सीरीज' इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं में से एक है जिसमें विविध क्षेत्रों के विचारक, छात्रों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं ।
भाप्रसंबें भूतपूर्व छात्र संस्थान के कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में गहन रुचि लेते हैं । कुछ गतिविधियाँ निम्नलिखित हैं जिनमें भूतपूर्व छात्र नियमित रूप से शामिल होते हैं :
प्रवेश प्रक्रिया : भूतपूर्व छात्र पीजीपी, ईपीजीपी और पीजीपीईएम कार्यक्रमों में छात्रों के चयन के लिए साक्षात्कार पैनल के सदस्यों के रूप में भाग लेते हैं (100 + भूतपूर्व छात्रों ने भाग लिया) । हर पैनल में उस कार्यक्रम के भूतपूर्व छात्रों तथा संकाय सदस्यों का एक संयोजन होता है । वे उम्मीदवार के कार्य अनुभव की गुणवत्ता के बारे में बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं और साक्षात्कार के दौरान संस्थान के ब्रांड एंबेसडर बनते हैं ।
कार्यपालक शिक्षा कार्यक्रम : पहली बार, ईईपी के सहयोग से भूतपूर्व छात्र कार्यालय ने "प्रभावी शिक्षण" पर भाप्रसंबें भूतपूर्व छात्रों के लिए एक विशेष पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया । इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दुनिया भर वरिष्ठ भूतपूर्व छात्रों ने से यात्रा की ।
भूतपूर्व छात्रों की सम्बद्ध गतिविधियाँ :
• सैटरडे म्यूज़िंग : यह एक गतिविधि है जो हर महीने भाप्रसंबें प्रेक्षागृह में आयोजित की जाती है । यह भूतपूर्व छात्रों, संकायों, उद्योग के विशेषज्ञों और छात्रों को जोड़ने का एक मंच है । कार्यक्रम का दुनिया भर के भूतपूर्व छात्रों के लिए सीधा प्रसारण किया जाता है और सत्र की वीडियो रिकॉर्डिंग भाप्रसंबें भूतपूर्व छात्र कार्यालय के यूट्यूब चैनल पर अपलोड की जाती है ।
• वेबिनार : भूतपूर्व छात्र कार्यालय ने एक वेबिनार समाधान विकसित किया है जो भूतपूर्व छात्रों को दुनिया के किसी भी स्थान से वेबिनार सत्र लेने की अनुमति देता है । प्रतिभागी किसी भी स्थान से इन लाइव सत्रों में लॉगइन कर सकते हैं । यह पहल भूतपूर्व छात्रों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है और सत्रों को भूतपूर्व छात्र वेबसाइट पर भविष्य में देखने के लिए संग्रहीत किया जाता है ।
• आईवॉल : आईवॉल एक रचनात्मक खुदरा धन जुटाने का समाधान है जिसकी अवधारणा और शुभारम्भ अक्टूबर 2017 में किया गया था । यह दाताओं को उपयोगकर्ता-अनुकूल अंतराफलक के माध्यम से विभिन्न कारणों के लिए खुदरा धन में योगदान करने की अनुमति देता है । यह एक वर्चुअल, मापनीय समाधान है जो दाताओं को ऑनलाइन दुनिया में स्थायी आभासी उपस्थिति और स्वीकृति की अनुमति देता है ।
• एलस्क्वायर : यह एक मासिक ई - संवादपत्र है जो भाप्रसंबें भूतपूर्व छात्र होने की भावना को दर्शाता है । संवादपत्र में भाप्रसंबें परिसर, सम्मेलनों और संगोष्ठियों, भूतपूर्व छात्रों की उपलब्धियों, संकाय विकास, पुनर्मिलन, भूतपूर्व छात्रों की पुस्तकों, पूर्व छात्रों के साक्षात्कार आदि पर होने वाली घटनाओं पर आधारित कई खंड होते हैं ।
• मोबाइल ऐप : मार्च 2017 में एक मोबाइल ऐप का शुभारम्भ किया गया था । यह ऐप भूतपूर्व छात्रों को परिसर में विभिन्न घटनाओं की तीव्र जानकारी प्राप्त करने, ब्लॉग पढ़ने, नौकरी पोस्ट करने और अपने अनुभव साझा करने में सक्षम बनाता है । हमारे पास ऐप के आईओएस और एंड्रॉइड वर्जन हैं ।
• बाहरी सहयोग : भाप्रसंबें के पणधारियों के लिए अद्वितीय अनुभव लाने के लिए, भूतपूर्व छात्र कार्यालय अन्य बाहरी पणधारियों के साथ सहयोग करता है । हमने भाप्रसंबें में दो सर्व आईआईटी/भाप्रसं कार्यक्रम आयोजित किए जो क्रमशः नवंबर 2017 और अप्रैल 2018 में कृषि और जल पर आधारित थे । हमने मार्च 2018 में स्टार्ट-अप पर एक सर्व भाप्रसं कार्यक्रम भी आयोजित किया । रोटरी के सहयोग से शिक्षा पर एक कार्यक्रम जून 2018 में आयोजित किया जा रहा है ।
• एनएसआरसीईएल : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में एनएसआरसीईएल और फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआईटीटी) ने जनवरी 2018 में अपने संबंधित उद्भवन केंद्रों में स्टार्ट-अप को संयुक्त रूप से परामर्श देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए । दिल्ली में भाप्रसंबें भूतपूर्व छात्रों ने ऐसा करने में अग्रणी भूमिका निभाई है और समझौता ज्ञापन के अनुसार विभिन्न गतिविधियों का स्वामित्व लिया ।
कार्यपालक शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी) भाप्रसंबें को कंपनी जगत के साथ काम करने तथा ज्ञान की हिस्सेदारी, समस्या का समाधान तथा ज्ञान सृजन के माध्यम से प्रभाव उत्पन्न करने का अवसर प्रदान करता है । उदाहरण के लिए संस्थान भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निगमों के लिए भारी संख्या में कस्टमाइज़्ड कार्यक्रमों की पेशकश करता है । गहन चर्चा तथा निगमों जिनके लिए कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं, के अनेक दौरों के बाद ये कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं । संगठन की प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है तथा वर्तमान चुनौतियों एवं प्राथमिकताओं को समझा जाता है । अक्सर, संगठन-विशिष्ट केस अध्ययनों का विकास किया जाता है । अनेक कार्यक्रमों में कार्य की चुनौतियों तथा उनके द्वारा महसूस की जा रही समस्याओं से जुड़ा केस लिखने के लिए प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया जाता है । इसका आधार यह है कि यदि प्रतिभागी अपने परिवेश के प्रति सजग होने की पहल करते हैं तो वे उल्लिखित परिस्थिति में अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिए अच्छी तरह सुसज्जित हो जाते हैं ।
संस्थान मध्यम एवं वरिष्ठ प्रबंधन पर नेतृत्व विकास कार्यक्रमों पर भारी संख्या में कंपनियों के साथ काम कर रहा है । एबीबी, अपोलो टायर्स, ब्रिटिश एयरोस्पेस, ओरेकल, रैंड्सटैड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसएपी लैब, सीमेंस एवं यूटीसी एयरोस्पेस सिस्टम ऐसे कुछ संगठन हैं जिनके लिए संस्थान ने नेतृत्व विकास कार्यक्रम संचालित किए हैं । ये कार्यक्रम 4 से 6 माह की अवधि में अनेक माड्यूल में प्रदान किए जाते हैं । नेतृत्व विकास कार्यक्रम के अंग के रूप में अनेक हस्तक्षेपों जैसे कि संगठन की समस्याओं पर विकास सह आकलन केन्द्र, 360 डिग्री मूल्यांकन, केस लेखन तथा परियोजना कार्य का संचालन किया जाता है । कार्यक्रम से अपना ज्ञान हासिल करने में प्रतिभागियों की मदद की जाती है तथा कार्य के अपने परिवेश में कार्यान्वित करने हेतु विशिष्ट कार्य योजना विकसित करने के लिए उनको प्रोत्साहित किया जाता है । कुछ कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान की जाती है । इन कार्यक्रमों में कंपनियों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
संस्थान दीर्घ अवधि के अनेक प्रमाण पत्र कार्यक्रम प्रदान करता है जैसे कि कार्यपालक सामान्य प्रबंध कार्यक्रम (ईजीएमपी), उन्नत प्रबंध कार्यक्रम (एएमपी) और आईटी कार्यपालकों के लिए सामान्य प्रबंध कार्यक्रम (जीएमआईटीई) और वैब प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके अनेक स्थानों पर एक साथ संचालित करता है । कंपनियों के लिए नेतृत्व का योजनाधीन प्रदान करने के अलावा ये कार्यक्रम अनुसंधान के लिए डाटा के एक बड़े स्रोत के रूप में भी काम करते हैं । प्रतिभागियों को अपनी चुनौतियों एवं समस्याओं को परिभाषित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । इन सुरागों के आधार पर संकाय सदस्य नई अनुसंधान परियोजनाएँ तथा केस अध्ययन शुरू करते हैं