Centres Of Excellence

To focus on new and emerging areas of research and education, Centres of Excellence have been established within the Institute. These ‘virtual' centres draw on resources from its stakeholders, and interact with them to enhance core competencies

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उत्कृष्टता केंद्र

अनुसंधान और शिक्षा के नए और उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, संस्थान के भीतर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं। ये 'वर्चुअल' केंद्र अपने हितधारकों से संसाधनों पर आकर्षित होते हैं, और कोर दक्षताओं को बढ़ाने के लिए उनके साथ बातचीत करते हैं

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Faculty

Faculty members at IIMB generate knowledge through cutting-edge research in all functional areas of management that would benefit public and private sector companies, and government and society in general.

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संकाय

भाप्रसंबें के संकाय सदस्य प्रबंध के सभी कार्यात्मक क्षेत्रों में अद्यतन शोध के माध्यम से ज्ञान उत्पन्न करते हैं जिससे सामान्यतः सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र कंपनियों और सरकार एवं समाज को लाभ प्राप्त होगा ।

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IIMB Management Review

Journal of Indian Institute of Management Bangalore

आईआईएमबी मैनेजमेंट रिव्यू

भारतीय प्रबंध संस्थान बेंगलूर की पत्रिकाएँ

IIM Bangalore offers Degree-Granting Programmes, a Diploma Programme, Certificate Programmes and Executive Education Programmes and specialised courses in areas such as entrepreneurship and public policy.

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भाप्रसं बेंगलूर दीर्घावधि कार्यक्रम, उद्यमवृत्ति एवं सार्वजनिक नीति जैसे क्षेत्रों में दीर्घावधि कार्यक्रम, कार्यपालक शिक्षा कार्यक्रम एवं विशिष्ट पाठ्यक्रम प्रस्तुत करता है ।

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About IIMB

The Indian Institute of Management Bangalore (IIMB) believes in building leaders through holistic, transformative and innovative education

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भाप्रसंबें के विषय में

भारतीय प्रबंध संस्थान बेंगलूर (भाप्रसंबें) समग्र, रूपांतकारी एवं नवीन शिक्षा के माध्यम से नेताओं का निर्माण करने में विश्वास करता है ।

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सामाजिक प्रभाव

भारतीय प्रबंध संस्‍थान (भाप्रसंबें) राष्‍ट्रीय महत्‍व का सार्वजनिक संस्‍थान हैं जो स्‍वायत्‍त, स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाला प्रबंध विद्यालय हैं। ये विद्यालय भारत सरकार द्वारा स्‍थापित राष्‍ट्रीय नीतिगत दिशानिर्देशों के तहत् काम करते हैं। प्रत्‍येक भाप्रसंबें (इस समय इनकी संख्‍या 19 है) के प्रबंध का पर्यवेक्षण करता है और सामरिक निर्देश प्रदान करता है। प्रत्‍येक भाप्रसं एक निदेशक के नेतृत्‍व में काम करता है, जो संस्‍थान का प्रमुख होता है और मंडल द्वारा अभिशासित होता है।

भारत सरकार द्वारा 1973 में स्‍थापित भाप्रसं बेंगलूर (भाप्रसंबें) अनेक रैंकिंग के अनुसार भारत और एशिया में शीर्ष प्रबंध विद्यालयों में से एक है। हमारा प्रबंध विद्यालय ईक्‍यूयूआईएस द्वारा प्रत्‍यायित है।

हमारा विज़न युवा स्‍नातकों, वृत्ति व्‍यवसायिकों, उद्यमियों और सूक्ष्‍म उद्यमों के लिए प्रबंध पाठ्यक्रम प्रदान करना है क्‍योंकि हम प्रबंध के जिन सिद्धांतों के बारे में पढ़ाते हैं वे हर किसी के लिए प्रासंगिक हैं, जिसमें विनीत व्‍यापारी जिसका छोटा सा किराना स्‍टोर है, से लेकर युवा कॉलेज छात्र जिसकी बृहद शिक्षा में रुचि है, शामिल हैं।

कक्षाकक्ष आधारित शिक्षा के माध्‍यम से ही उत्‍तम कोटि की प्रबंध शिक्षा भारी संख्‍या में इच्‍छुक विद्यार्थियों तक नहीं पहुँच सकती है। यहीं से भाप्रसंबें से व्‍यापक मुक्‍त ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (एमओओसीएस) की शुरुआत होती है। हमारा पहला वादा 'व्‍यापक पहुंच' का है, हमारा दूसरा वादा 'सकारात्‍म्‍क सामाजिक प्रभाव' का है और तीसरा वादा 'उत्‍कृष्‍ट कोटि की प्रबंध शिक्षा' का है।

Social Impact

आईआईएमबीएक्स के एमओओसीएस का उद्देश्‍य भारत में गहन सामाजिक प्रभाव उत्‍पन्‍न करना है। यदि हमें अपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' के सपने को साकार करना है तो हमें भारत में कामगारों के विशाल समूह के प्रबंधकीय कौशलों को अद्यतन करना होगा। इसके अलावा ऑनलाइन फॉर्मेट में प्रबंध पाठ्यक्रमों की संख्‍या अभी भी सीमित है। अत: हम अपने एमओओसीएस के माध्‍यम से वैश्विक विद्यार्थियों को अपेक्षित कौशलों से युक्त करना चाहते हैं।

Social Impact

डॉ. गोपाल नाइक के नेतृत्‍व में सार्वजनिक नीति केन्‍द्र (सीपीपी) ने ग्रामीण भारत तथा कर्नाटक में सरकारी सहायता प्राप्‍त विद्यालयों में शिक्षा की खराब गुणवत्‍ता की समस्‍या को दूर करने के लिए सेटलाइट ऐंड एडवांस मल्‍टीमीडिया इंटरैक्टिव एजुकेशन (एसएएमआईई) नामक एक दूरस्‍थ शिक्षा परियोजना का विकास किया है। इस परियोजना ने प्रौद्योगिकी, अवसंरचना तथा संगठन के संबंध में अनेक चुनौतियों को दूर किया है। कर्नाटक सरकार की सहायता से तथा भाप्रसंबें के नेतृत्‍व में सहायता संघ की दूरस्‍थ शिक्षा परियोजना कर्नाटक के पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों के 1000 स्‍कूलों में लगभग 200,000 स्‍कूली बच्‍चों तक पहुँच रही है।

Social Impact

 

डॉ. गीता सेन के नेतृत्‍व में सीपीपी ने फॉस्‍टरिंग नॉलेज इम्‍लीमेंटेशन लिंक्स परियोजना प्रारम्भ की है जो जन स्‍वास्‍थ्‍य के मुद्दों पर साक्ष्‍य आधार को सुदृढ़ करने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा शुरू किया गया प्रयास है।

डॉ. गीता सेन के नेतृत्‍व में सीपीपी कर्नाटक के कोप्‍पल जिले में 'लिंग और स्‍वास्‍थ्‍य समता' (जीएचई) परियोजना पर काम कर रहा है। कोप्‍पल में जीएचई परियोजना कार्य में 22 जनवरी 2015 को साकू ई मौना (इनफ ऑफ दिस साइलेंस) नामक एक विशेष सत्र का मार्ग प्रशस्‍त किया जिसमें सरकारी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया; तथा 23 जनवरी 2015 को 'सामुदायिक जुटाव की चुनौतियों' पर भी एक सत्र का मार्ग प्रशस्‍त किया जिसमें कर्नाटक सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री यूटी खादेर के साथ विशेष चर्चा का आयोजन किया गया।

उन्‍नत भारत अभियान (यूबीए)

उन्‍नत भारत अभियान के तहत शिक्षा एवं नेटवर्किंग के लिए समन्‍वय संस्‍था के रूप में आईआईएम बेंगलूर निम्‍नलिखित कार्य कर रहा है :

1. विशेष रूप से भारत के गांवों में शिक्षा से संबंधित सतत परियोजनाओं का विस्‍तार करना

2. नए गांव को गोद लेने के लिए चुनना


वर्तमान / हाल की परियोजनाएं

1. देशपांडे फाउंडेशन के साथ साझेदारी : भाप्रसं बेंगलूर ने फरवरी 2016 में कर्नाटक के धारवाड़ जिले के नवलगुंड तालुक में 5 ग्राम पंचायतों को अपनाया लिया। प्रो. गोपाल नायक तथा भाप्रसंबें से उनका दल ने ऐसे कार्यक्रमों पर काम कर रही है जिन्‍हें गुड़ी सागर, दल, अलगवाड़ी, शिशुविनाहल्‍ली और हलकुसुगल की ग्राम पंचायतों में शुरू किया जा सकता है।

  • देशपांडे फाउंडेशन के साथ साझेदारी : भाप्रसं बेंगलूर ने फरवरी 2016 में कर्नाटक के धारवाड़ जिले के नवलगुंड तालुक में 5 ग्राम पंचायतों को अपनाया लिया। प्रो. गोपाल नायक तथा भाप्रसंबें से उनका दल ने ऐसे कार्यक्रमों पर काम कर रही है जिन्‍हें गुड़ी सागर, दल, अलगवाड़ी, शिशुविनाहल्‍ली और हलकुसुगल की ग्राम पंचायतों में शुरू किया जा सकता है।
  • भाप्रसंबें ने गांव अपनाने की परियोजना के पहले वर्ष में कृषि, शिक्षा, आरटीसी तथा आरडीएस सेवा और सूचना पहुँच एवं प्रशिक्षण के साथ शुरुआत करने की योजना बनाई है। इन ग्राम पंचायतों के छोटे उद्यमी अपने व्‍यवसाय की चुनौतियों का समाधान करने के लिए भाप्रसंबें से सहायता प्राप्‍त करेंगे। उदाहरण के लिए कृषि क्षेत्र से जुड़े कार्यक्रमों में फसल योजना, फसल उत्‍पादन, उपज का विपणन तथा किसान उत्‍पादक संगठनों की स्‍थापना शामिल होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में भाप्रसंबें इन 5 ग्राम पंचायतों में अपनी मौजूदा दूरस्‍थ शिक्षा परियोजना का उच्‍चतर प्राथमिक और हाई स्‍कूलों में विस्‍तार करेगा।
  • भाप्रसंबें आरटीसी तथा आरडीएस प्रमाण पत्र और 39 अन्‍य प्रमाण पत्र स्‍वयं ग्राम पंचायत कार्यालय में प्राप्‍त करने में इन ग्राम पंचायतों के निवासियों की मदद करने की दिशा में भी काम करेगा।
  • सूचना पहुँच एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में भाप्रसं बेंगलूर अपने व्‍यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (एमओओसीएस) तक पहुँच प्रदान करेगा।

2. ग्रामीण स्‍कूलों में दूरस्‍थ शिक्षा : भाप्रसंबें के नेतृत्‍व में एक परिसंघ ने कर्नाटक के पिछड़े जिलों के 1000 ग्रामीण स्‍कूलों में नवंबर 2015 में दूरस्‍थ शिक्षा शुरू की। एक स्‍टूडियो में संचालित कक्षाओं का प्रसारण सेटलाइट के माध्‍यम से होता है और विशेष उपकरण की सहायता से स्‍कूलों द्वारा रिसीव किया जाता है तथा सामग्री बड़ी स्‍क्रीन पर प्रदर्शित की जाती है। छात्र सत्र के अंत में प्रश्‍न पूछ सकते हैं जिससे यह लाइव एवं परस्पर संवादात्मक बनता है। अभी इस परियोजना में तीन विषय - अंग्रेजी, विज्ञान एवं गणित शामिल हैं। 3. प्रगति केन्‍द्र : भाप्रसंबें ने परिसंघ के 11 साझेदारों की सहायता से 2010-13 के दौरान कर्नाटक राज्‍य के तुमकूर जिले के गुब्‍बी तालुक में 15 प्रगति केन्‍द्रों का सफलतापूर्वक संचालन किया। परिसंघ के सदस्‍यों में इंटेल, सिस्‍को और विप्रो तथा लघु स्‍टार्टअप जैसे कि गुंभी सॉफ्टवेयर और जूमिन इनफोटेक, टैरासॉफ्ट, न्‍यूरोसिनाप्टिक्‍स और आईडीएफ शामिल थे। वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से दूरस्‍थ शिक्षा, दूरस्‍थ दवा, सरकारी प्रमाण पत्रों की सुपुर्दगी, फसल डाटा संग्रहण पद्धति, बैंकिंग पत्राचार, मौसम सूचना, डाटा अधिप्रमाणन पद्धति तथा कृषि विस्‍तार का विकास किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में उनके प्रयोग का प्रदर्शन किया गया।

  • कर्नाटक सरकार ने 1000 और स्‍कूलों में इस परियोजना के विस्‍तार के लिए मंजूरी प्रदान की है।
  • आंध्र प्रदेश सरकार ने 600 स्‍कूलों में परियोजना शुरू करने के लिए भाप्रसंबें को आमंत्रित किया है।

आईसीटी और कृषि : भाप्रसंबें ने कर्नाटक के दो तालुकों में एक परियोजना शुरू की है जिसके तहत् यह जांच की जा रही है कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का प्रयोग करके किस तरह प्रभावी ढंग से किसानों तक सूचना पहुंचाई जा सकती है। फसल उत्‍पादन पर संबद्ध सूचना से युक्त टैबलट के साथ भाप्रसंबें के शोधकर्ता किसानों की उपज एवं उत्‍पादन को प्रभावित करने वाली सामयिक, पर्याप्‍त एवं विश्‍वसनीय सूचना प्रदान करने के लिए यादृच्छिक रूप से चयनित किसानों के पास नियमित रूप से जाते हैं। टैबलेट कृषि विज्ञान विश्‍वविद्यालय, रायचूर में सर्वर से जुड़े होते हैं जिसका अभिप्राय यह है कि विशेषज्ञों से स्‍पष्‍टीकरण प्राप्‍त किया जा सकता है। इस प्रकार की सक्रिय विस्‍तार सेवा उपज बढ़ाने, लागत कम करने तथा लाभप्रदता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी एवं आधुनिक प्रथाओं को अपनाने में किसानों की मदद करती है।

इस परियोजना का विस्‍तार किया जा सकता है ताकि कृषि विश्‍वविद्यालय ::

  • खेती पर सटीक डाटा एकत्र कर सके ताकि सरकारें उपयुक्‍त नीतियाँ बना सकें वित्‍त पोषण के लिए उपलब्‍ध सहायता के आधार पर भाप्रसंबें किसी तालुक के सभी किसानों तक इस मॉडल का विस्‍तार करने के लिए संगत संस्‍थाओं के साथ सहयोग कर सकता है।

भाप्रसंबें का उद्देश्‍य धारवाड़ जिले की 5 ग्राम पंचायतों में इस परियोजना का विस्‍तार करना है जिनको इसने अपनाया लिया है।