भाप्रसंबें में इज़राइल केन्द्र
भारत और इज़राइल के बीच द्विपक्षीय विकास सहयोग का एक लंबा एवं लाभप्रद इतिहास रहा है, विशेष रूप से 1992 से जब औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए गए। उद्यमी गतिविधि को बढ़ावा देने पर भारत सरकार द्वारा नए सिरे से बल दिए जाने के कारण दोनों देशों के बीच व्यवसाय एवं शैक्षणिक संपर्कों का महत्व बढ़ गया है। भारत के प्रधानमंत्री के इज़राइल के हाल ही के दौरे ने इस संबंध के महत्व पर बल दिया तथा विशेष रूप से इज़राइल के लोगों में जागरूकता बढ़ाई।
परंपरागत रूप से भारत और इज़राइल के बीच आर्थिक साझेदारी रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रही हैं। अन्य क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने की संभावना बहुत अधिक है। इनमें कृषि खाद्य प्रौद्योगिकी, डिजिटल स्वास्थ्य, वित्तीय प्रौद्योगिकी, उद्योग 4.0, मोबाइल और दूरसंचार तथा जल एवं ऊर्जा शामिल हैं।
भारत - इज़राइल आर्थिक संबंध मौलिक संपूरकता पर आधारित हैं। इज़राइल जीवंत प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार एवं उद्यमवृत्ति पारिस्थितिकी तंत्र की पेशकश करता है। भारत उद्यमिता की अपनी प्रबल आकांक्षा के कारण इससे लाभ लेने का प्रयास करता है। भारत निवेश के लिए नवाचारी अवसरों के साथ एक विशाल बाजार की पेशकश करता है। इज़राइल बाजार बढ़ाने के लिए अपनी प्रबल आकांक्षा के कारण इससे लाभ लेने का प्रयास करता है।
संपूरक होने की प्रकृति को देखते हुए भारत - इज़राइल व्यवसाय संबंध का सार दोनों पक्षों की अच्छाइयों एवं कमजोरियों की गहरी समझ तथा सहयोग के उचित तथा प्रसंग के अनुरूप विवेकपूर्ण संरचना प्रबुद्ध निर्माण से सुदृढ़ होगा।
भारत और इज़राइल के बीच व्यवसाय सहयोग में इतनी अधिक वृद्धि के कारण अवसर के कुछ नए क्षेत्र उत्पन्न हो रहे हैं जिनके लिए गहरी शैक्षणिक एवं प्रबंधकीय भागीदारी की आवश्यकता है। इनमें प्रौद्योगिकी नवाचार, व्यवसाय कार्यनीति एवं इतिहास, सरकारी नीतियों एवं संस्कृति की समझ शामिल है। यह दोनों देशों की शैक्षिक संस्थाओं के बीच सहयोग की संभावना प्रदान करता है।
नवंबर 2016 में इज़राइल के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान भारत और इज़राइल के विश्वविद्यालयों के प्रमुखों के बीच 20 से अधिक करारों पर हस्ताक्षर हुए जिनका उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग, छात्र एवं संकाय विनिमय तथा अनुसंधान साझेदारी बढ़ाना है।