उद्यमवृत्ति
पृष्ठभूमि
भाप्रसंबें का उद्यमवृत्ति अध्ययन हेतु एनएस राघवन केन्द्र (एनएसआरसीईए उद्यमवृत्ति अनुसंधान, शिक्षा एवं व्यवहार में देश में सबसे आगे है । समाज के विभिन्न क्षेत्रों के उद्यमियों को शिक्षित करने के लिए विलक्षण कार्यक्रमों जैसे कि उद्यमियों एवं पारिवारिक व्यवसायों के लिए प्रबंध कार्यक्रम (एमपीईएफबी) और महिला उद्यमियों के लिए प्रबंध कार्यक्रम (एमपीडब्ल्यूई) की पेशकश करने के अलावा एनएसआरसीईएल भाप्रसंबें में लंबी अवधि के सभी कार्यक्रमों में उद्यमवृत्ति में अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों की पेशकश करता है । एनएसआरसीईएल में संकाय अनुसंधान के प्रति गहन रूप से समर्पित हैं तथा उद्यमिता के क्षेत्र में उनके कार्य अग्रणी शैक्षिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं । एनएसआरसीईएल का उद्भवक सबसे विख्यात उद्भवक में से एक है जिसने शुरुआत से लेकर अब तक 80 से अधिक नए उद्यमों को पोषित किया है । नीति आयोग द्वारा एनएसआरसीईएल को अग्रणी उद्भवक के रूप में मान्यता प्रदान की गई है तथा इसे 2017 में 6 नोडल केन्द्रों में से एक के रूप में चुना गया है।
अनेक प्रख्यात विद्वानों के प्रयासों के कारण पिछले कुछ दशकों में उद्यमवृत्ति एक विशिष्ट विषय के रूप में विकसित एवं सम्मिलित हुई है और इस विषय क्षेत्र के लिए प्रमुख परिभाषा एवं सीमाओं का निर्माण करने के लिए उभरते संकल्पनात्मक परिप्रेक्ष्यों एवं अनुभवजन्य परिज्ञान को एकीकृत किया है । इन प्रयासों ने एनएसआरसीईएल में हमें उद्यमवृत्ति के अपने वैश्विक विचार को व्यक्त करने, विचार नायकत्व को अपनाया और हमारे विचारों एवं स्थितियों के अनुसार हमारे अनुसंधान एवं शिक्षा शास्त्र का निर्माण करने का अवसर प्रदान किया है ।
एनएसआरसीईएल का शैक्षिक परिप्रेक्ष्य
आगे चलते हुए इस क्षेत्र की प्रगति एनएसआरसीईएल के वैश्विक दृष्टिकोण को वेंकटरमन एवं अन्य की इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति द्वारा कारगर ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है :
'' .... इसी तरह, उद्यमिता विधि की धारणा उद्यमिता की हमारी व्याख्याओं में व्यक्तिगत शूरवीरों या चेहराविहीन सामाजिक, आर्थिक एवं प्रौद्योगिकीय बलों पर अत्यधिक निर्भरता से बाहर निकलने में हमारी मदद कर सकती है। इससे हमें सहायक स्वत: शोध प्रणाली, तकनीक, कार्यनीति एवं सिद्धांत के अधिक सुव्यवस्थित प्रोद्भवन की ओर बढ़ाया जा सकता है जो हमें मानव लक्ष्यों को हासिल करने तथा नए एवं उपयोगी प्रयोजनों का निर्माण करने में समर्थ बनाते हैं । संक्षेप में, अगले दशक में हम न केवल समझ के कगार पर हो सकते हैं अपितु वास्तव में उद्यमवृत्ति विधि के प्रयोग के माध्यम से उत्पन्न नए अवसरों को तैयार करने में मदद कर सकते हैं । कलाकृति के रूप में अवसरों का पुनर्निर्माण करके और कृत्रिम विज्ञान के रूप में उद्यमिता के साथ आगे बढ़कर हम आशा करते हैं कि हम आने वाले दशक के लिए ''प्रामिस'' लेख को नवीकृत कर सकते हैं''। (वेंकटरमन एवं अन्य, 2012, पृष्ठ 30-31)
''विधि'' के रूप में एनएसआरसीईएल का उद्यमवृत्ति का दृष्टिकोण व्यक्तियों एवं समूहों द्वारा शुरू की गई एवं अपनाई गई सुव्यवस्थित प्रथाओं से जुड़े व्यापक श्रेणी के शोध प्रश्नों का समाधान करने में मदद करता है जो तुरंत शिक्षण एवं सीखने के योग्य है और जो उद्यमवृत्ति के विविध परिणाम-उत्पाद, सेवा, करियर, सामाजिक आंदोलन, सामुदायिक पहल आदि का सृजन कर सकता है, और विस्तार द्वारा प्रौद्योगिकी उद्यमवृत्ति, सामाजिक उद्यमवृत्ति, कॉरपोरेट उद्यमवृत्ति तथा महिला उद्यमवृत्ति सहित अनेक संदर्भों को इस विशाल क्षेत्र में समाहित किया जा सकता है ।
उद्यमवृत्ति में नया एफपीएम
उद्यमवृत्ति में प्रबंध में फेलो कार्यक्रम (एफपीएम) (पीएचडी के समतुल्य) उपर्युक्त के अनुसार उद्यमवृत्ति में अनुसंधान पर बल देता है । वाचस्पति स्तरीय पाठ्यक्रम ऐसे अनुसंधान को शामिल करते हैं जो उद्यमवृत्ति, अनुसंधान की विधियों एवं उपकरणों, तथा विभिन्न संदर्भों को शामिल करने वाले विशिष्ट प्रकरणों में व्यापक श्रेणी के सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्यों में फैला है जिसमें उद्यमवृत्ति परिदृश्य का अवलोकन एवं अभ्यास किया जाता है । पाठ्यक्रम कार्य में अर्थशास्त्र, कार्यनीति एवं संगठनात्मक सिद्धांत जैसे संबद्ध विषय क्षेत्रों के पाठ्यक्रम शामिल हैं । पाठ्यक्रम में विविधता विभिन्न क्षेत्रों द्वारा प्रस्तुत वैकल्पिक विषयों के माध्यम से प्राप्त होगी । संकाय सदस्यों के पास निम्नलिखित क्षेत्रों में अनुसंधान का मार्गदर्शन करने की विशेषज्ञता एवं दक्षता है :
- उद्यमवृत्ति संज्ञान
- उद्यमवृत्ति के अवसर
- उद्यमवृत्ति सिद्धांत
- उच्च विकास वाली उद्यमवृत्ति
- उद्यमवृत्ति नेटवर्क
- उद्यमवृत्ति पारिस्थितिकीतंत्र
- अंतर्राष्ट्रीय उद्यमवृत्ति
संकाय सदस्य
सुरेश भगवतुल्ला |
श्रीवर्धिनी के झा फेलो (भाप्रसं बेंगलूर) |
के कुमार फेलो (भाप्रसं बेंगलूर) अध्यक्ष - शैक्षणिक कार्यक्रम |
डालिया मणि पीएचडी (मिनेसोटा विश्वविद्यालय) |
सारस डी सरस्वती* |
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*अतिथि संकाय